भाषा सहोदरी हिन्दी के प्रमुख उद्देश्य
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जिस तरह से देश अंग्रेजी भाषा शिक्षण संस्थानों से लेकर नौकरी पेशा और दैनिक गतिविधियों में हावी होती जा रही उसे देखते हुए अगर समय रहते हम हिन्दी के भविष्य के प्रति जागरूक नही हुए तो हिन्दी भी संस्कृत की तरह ख़त्म हो जायेगी…
1. भारत की सभी लिखित परीक्षाओं एवं साक्षात्कार में अंग्रेजी की वरीयता ख़त्म हो एवं देश में हिन्दी की समुचित रोजगार व्यवस्था विद्यार्थियों के लिए सुनिश्चित किया जाय I भारत के विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों से लगभग ४२ लाख विद्यार्थी प्रतिवर्ष (स्नातक से लेकर पीएच. डी.) उत्तीर्ण होते हैं लेकिन न ही सरकार के पास और न ही कॉर्पोरेट जगत के पास इनके लिए कोई रोजगार है I
2. हिन्दी को केन्द्रीय भाषा एवं क्षेत्रीय भाषाओँ को अधिकार मिले I हमे आजाद हुए ६८ साल हो गये देश के लोगों के लिए देश की भाषा नही मिली । अब समय आ गया है कि भारत के लोगों की भाषा सुनिश्चित की जाय हिन्दी को केन्द्रीय भाषा के रूप में मान्यता और क्षेत्रीय भाषाओं को अधिकार मिले I
3. देश में समान शिक्षा लागू हो I कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत के राज्य के हर गाँव, कस्बों, पहाड़ी इलाका, आदिवासी इलाका, पिछडा इलाका, जहां शिक्षा की समुचित व्यवस्था न हो, जहां बिजली की व्यवस्था न हो, जहां के बच्चे लालटेन के नीचे पढते हों या लालटेन भी नसीब न हो, उनकी शिक्षा और भारत की राजधानी के कान्वेंट में पढने वाले बच्चे की शिक्षा समान हो I कपडे बदल दीजिये इमारते बदल दीजिये लेकिन किताबें मत बदलिए यह समान शिक्षा पूरे भारत में लागू हो I
4. देश में बिकने वाले हर वस्तु चाहे वह देशी हो या विदेशी सभी पर हिन्दी लागू हो I सभी प्रकार के सामानों पर विवरण की छपाई हिन्दी में हो I जैसे रूस, चीन, कोरिया, जापान इत्यादि देशों में बिकने वाले हर वस्तु पर उनके दाम व विशेषताएं सभी कुछ उनकी अपनी भाषा में होता है उसी तरह भारत में भी हिन्दी लागू हो I
5. देश के उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों में हिन्दी की हो भागीदारी एवं अनुच्छेद ३४८ में संशोधन हो I जब देश के लोगों की ही भाषा संविधान में तय नही की गयी तो देश के लोगों के लिए काम करने वाले अदालतों की भाषा अंग्रेजी कैसे तय की जा सकती है ?
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